चंडीगढ़, 27 सितम्बर(3आईन्यूज) पंजाब सरकार ने खरीफ सीजन में पराली जलाए को रोकने के लिए राज्य भर में धान का उत्पादन करने वाले गाँवों के लिए 8000 नोडल अफ़सर नियुक्त किए हैं। इसके अलावा धान की पराली के निपटारे के लिए किसानों को 23,500 और मशीनें मुहैया करवाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों को फ़सल के अवशेष को आग न लगाने की अपील की है, क्योंकि इससे प्रदूषण फैलने के साथ-साथ कोविड की स्थिति और गंभीर हो सकती है। कोविड की महामारी के मद्देनजऱ पराली न जलाए जाने के लिए किसानों के सहयोग की माँग करते हुए उन्होंने कहा कि माहिर पहले ही सावधान कर चुके हैं कि इससे फेफड़ों और अन्य बीमारियों के साथ पहले ही जूझ रहे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे।
कैप्टन सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास कई बार यह माँग उठाई है कि पराली का निपटारा करने पर आने वाले खर्च की भरपाई की जाए। पंजाब सरकार द्वारा किसानों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर मुहिम शुरू की गई है। इसी तरह राज्य सरकार ने भारत सरकार से माँग की कि किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवज़ा दिया जाए, जिससे वह पराली को आग लगाए बिना इसका निपटारा कर सकें।
यह नोडल अफ़सर 15 नवंबर तक गाँवों में अपनी ड्यूटी निभाएंगे और सहकारिता, राजस्व, ग्रामीण विकास एवं पंचायत, कृषि, बाग़बानी और मृदा संरक्षण विभागों के साथ-साथ पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गार्डियनज़ ऑफ गवर्नेंस के साथ मिलकर काम करेंगे। मोबाइल ऐप के साथ लैस यह अफ़सर ज़मीन ठेके पर देने वालों की सूची तैयार करेंगे और हरेक ज़मीन मालिक को फ़ोन पर सावधान करेंगे कि यदि उसने पराली न जलाए जाने को यकीनी बनाने के लिए कोई कदम न उठाया तो उसके ज़मीन के रिकॉर्ड में लाल अक्षरों (रैड प्रविष्टि) के साथ दर्ज किया जाएगा।
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