मुख्यमंत्री ने कहा कि वह यह कभी भी नहीं चाहते कि पंजाब का नौजवान और किसान अपने जीने के अधिकार की लड़ाई लडऩे के लिए हथियार उठाएं। उन्होंने सावधान करते हुए कहा कि इन नए कानूनों से सरहदी राज्य पंजाब की सुरक्षा ख़तरे में पड़ेगी, क्योंकि पाकिस्तान की ख़ुफिय़ा एजेंसी आई.एस.आई. हमेशा ही गड़बड़ फैलाने के मौकों की ताक में रहती है।
अमरिन्दर ने कहा कि बीते समय में नासमझी के साथ घटी हिंसा में पंजाब की 35000 जानें आतंकवाद की भेंट चढ़ गई। उन्होंने कहा कि यदि किसानों के दरमियान बेचैनी अन्य राज्यों में भी फैल गई तो समूचा मुल्क आई.एस.आई. के ख़तरे अधीन आ जाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की पि_ू ताकतें भारत में रोष पैदा करने के लिए पूरा ज़ोर लगाएंगी। पिछले महीनों में पंजाब में 150 आतंकवादियों को गिरफ़्तार करने और बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए जाने का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह किसी को भी राज्य के शांतमई माहौल को भंग करने की इजाज़त नहीं देंगे, जो नए कृषि कानून ऐसा होने की संभावना पैदा करते हैं।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सचिव और पंजाब मामलों के इंचार्ज हरीश रावत जो यहाँ मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित थे, ने 2 अक्तूबर से शुरू होने वाली दस्तख़त मुहिम का ऐलान करते हुए कहा कि इससे नए कृषि कानूनों के विरुद्ध 2 करोड़ किसानों के दस्तख़त लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के दस्तख़तों वाले पत्र 14 नवंबर को भारत के राष्ट्रपति को सौंपे जाएंगे, जिस दिन इत्तेफ़ाकऩ पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिवस है। उन्होंने यह भी कहा कि इस लड़ाई को कानूनी निष्कर्ष पर ले जाने के लिए किसान सम्मेलन भी कराए जाएंगे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह को किसानों का रखवाला बताते हुए श्री रावत ने कहा कि किसान भाईचारा केंद्र के काले कानूनों के खि़लाफ़ लड़ाई में उनका नेतृत्व करने के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह से उम्मीद रखता है। उन्होंने अकालियों पर तंज कसते हुए कहा कि अकाली लम्बा समय तक तो मूक दर्शक बन कर बैठे रहे और अब किसानों के हकों की लड़ाई का लाभ कमाने के लिए आ रहे हैं।
अड़ानी जैसे बड़े कॉर्पोरेटों को खुश करने के लिए पंजाबियों और पंजाब के किसानों के साथ सौतेली माँ वाला सुलूक किए जाने की सख़्त आलोचना करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘क्या अडानी गरीब भारतियों को सस्ता भोजन देगा?’’ उन्होंने कहा कि यह कानून पंजाब और यहाँ के किसानों को तबाह करने के अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भी $खतरनाक साबित होंगे।
नए कानूनों को मुल्क के संघीय ढांचे पर डाका मारने वाला कदम बताते हुए मुख्यमंत्री ने इन कृषि बिलों के कानून बन जाने को पंजाब के लिए काला दिन बताया। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से पहले इनको अध्यादेशों के रास्ते लाया गया और फिर बिना कोई विचार-चर्चा किए संसद में जबरन पास किया जाना बहुत अफसोसजनक कार्यवाही है। उन्होंने कहा कि भाजपा और अकाली दल द्वारा फैलाए जा रहे झूठ के उलट हकीकत यह है कि पंजाब सरकार को यह अध्यादेश लाने संबंधी एक बार भी नहीं बताया गया।
पिछले कई महीनों से बिलों का बचाव करने के लिए अकालियों की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने फिर सवाल किया कि हरसिमरत बादल इस पूरे समय के दौरान क्या कर रहे थे और जब अध्यादेश लाए गए थे तो उसने मंत्री मंडल से इस्तीफ़ा क्यों नहीं दिया। उन्होंने अकालियों के किसानों के साथ खड़े होने के खोखले दावों को रद्द करते हुए कहा ‘‘अकालियों ने सर्वदलीय मीटिंग में हमारा विरोध क्यों किया? वह विधान सभा से क्यों भाग गए?’’ उन्होंने कहा कि यह दावे सिफऱ् पंजाब में सत्ता हथियाने के लिए हैं, परन्तु अब कोई भी उन पर भरोसा नहीं करता। उन्होंने आगे कहा कि शिरोमणि अकाली दल का एन.डी.ए. छोडऩे का फ़ैसला भी उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों के विद्रोह का नतीजा था।
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